कुछ है बनारस में कि अब बड़े बड़े चमचमाते मॉल आ गए हैं, जगह जगह इडली के स्टाल लग गए हैं पर बनारस है कि कशी की लंगोट को छोड़ता ही नहीं। यह बनारस ही है, जहां गंगा की धारा उलट गई, आम लंगड़ा हो गया, बातें बतरस में बदलकर किस्से और कहावत में बदल गयीं
क्यूँ हर भारतीय को एक बार चीन जरूर जाना चाहिए, बता रही हैं पद्मश्री मालिनी अवस्थी जी और साथ ही इस यात्रा से कैसे चीन के बारे में टूटे उनके पूर्वाग्रह…
सफ़र का रैन बसेरा………………कुछ खूबसूरत लोग आप कभी अपने किसी भी यात्रा को याद करिये, एक मस्त हॉलिडे को, किसी “अमेजिंग” रोड जर्नी को ………याद किया? तो क्या बनाता है किसी भी यात्रा को ख़ास ? बिलकुल सही, साथ
कोलकाता के रास्ते कलकत्ता की ओर कोलकाता (kolkata)– जिसको हमारे बचपन ने कलकत्ता के नाम से जाना है| पहली बार जाना हुआ वहां| एयरपोर्ट से निकलकर वो पीली टैक्सियाँ जो कलकत्ता की ट्रेडमार्क पहचान हैं| और आगे जाने पर दिखती
ऐ ज़िन्दगी तुम पहाड़ जैसी हो, तो पहाड़ क्यूँ नहीं …नेपाल डायरीज -1 नेपाल डायरीज-1 -बस अचानक ही बैठे बैठे नेपाल का प्रोग्राम बन गया. लम्बा वीकेंड था, हमें कहीं जाना था, बिहार में हैं तो सोचा चलो नेपाल चलते
धनोल्टी-पार्ट -1 धनौल्टी -जिसने भी ब्रेम स्टोकर की ड्रैक्युला पढी होगी उसे कार्पेथिया की पहाड़ियों में बसे ड्रैक्युला के महल की ओर जाने के रास्ते का रीढ़ सिहरा देने वाला वर्णन जरूर याद होगा। जब बग्घी ड्रैक्युला के क्षेत्र की