इन्टरनेट ने अगर दुनिया को हमारे क़दमों में पहुँचाया है तो हम सभी को एक कम्पटीशन में ला कर खड़े भी कर दिया है. यहाँ रेस लगी हुई है, एक दुसरे से बेहतर होने की रेस. और इसी ने ला दिया है एक “परफेक्ट फिगर “ का कांसेप्ट, फिल्मों जैसा दिखने की ख्वाहिश, एक डिफाइंड शेप और साइज़ में आने की रेस और इसने दिया है आज की लड़कियों को ये भ्रम कि वो उस सेट साइज़ में नहीं हैं तो खूबसूरत नहीं हैं।
हाल ही मैं भारती सिंह ने “जॉय” बॉडी लोशन के एड में इसी स्टीरियोटाइप के बारे में बात की है.
आम तौर पर सुंदरता की परिभाषा हर जगह कमोबेश एक जैसी ही है। भारत की बात करें तो यहाँ भी वही मानक हैं :लंबा, इकहरा गोरा शरीर, और विदेशी दिखने वाला झक सफ़ेद चेहरा। वैवाहिकी उठाएं तो इस देश में लड़कियों की खूबसूरती की वही एक घिसी-पिटी परिभाषा है – गोरी, लम्बी, पतली, सुशील ……….हम ऑबसेस्ड हैं इन 4 शब्दों से । ऐसे में भारती , जिनको अपने मोटापे की वजह से काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ती रही हैं, उनका एक ब्यूटी प्रोडक्ट के विज्ञापन में दिखना एक सुखद बदलाव है जो इस बात की और इशारा करता है कि धीरे- धीरे ही सही ,लेकिन खूबसूरती को डिफाइन न करने की कवायद शुरू हो चुकी है।
मुझे सोनम कपूर बेहद पसंद हैं, बेबाक बोलने वाली सोनम ने पिछले महीने बज्ज फीड को दिए एक इंटरव्यू में लड़कियों से कहा था “ मैं ऐसे सोकर नहीं उठती हूँ, एक लम्बी चौड़ी टीम, घंटों की मेहनत और ढेर सारे पैसों के बाद मैं ऐसी दिखती हूँ और साफ़ साफ़ बता दूँ कि ये सच नहीं है.इतना कुछ करने के बाद भी मैं परफेक्ट नहीं हो पाती, ये फोटोशोप करता है” ।
लड़कियों ……. आप में से कौन हैं जिन्हें ये नहीं कहा गया कि “कण्ट्रोल करो थोडा वजन”!
लड़कियों ……. आप में से कौन हैं जिन्हें ये नहीं कहा गया कि “ डाइटिंग करो, मोटी हो रही हो”!
लड़कियों ……. आप में से कौन हैं जिन्हें लगता है कि सिर्फ आपकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम डबल चीन, सेल्युलाईट, फैट, थंडर थाई या बल्की आर्म्स नहीं है!
लड़कियों ……. आप में से कौन हैं जिन्हें ये नहीं कहा गया कि बेसन लगाया कर चेहरा साफ़ हो जायेगा !
तो लड़कियों, तुम ज्योमेट्री बॉक्स नहीं हो, तुम जैसी हो, वैसी ही खूबसूरत हो, अपनी कमियों के साथ, अपने इम्पेर्फेक्शन के साथ।. फिट होना और हेल्थी खाना अपने स्वास्थ्य के लिये करो, किसी एक फ्रेम में फिट होने के लिये नहीं ।
मुझे पता है कि मैं खूबसूरत हूँ क्यूंकि मुझे मेरे ही किसी फीमेल फ्रेंड ने कभी ये एहसास होने ही नहीं दिया कि मुझे एक ढर्रे में फिट होना है। और मैं भी यही कर रही हूँ। सोचिये एक कॉम्प्लीमेंट किसी का दिन बना सकता है, तो लड़कियों खुल कर कॉम्प्लीमेंट करो एक दूसरे को, क्या पता सुबह ही किसी ने उसे उदास किया हो ये कहकर “ वजन पर कण्ट्रोल करो, इससे ज्यादा हुआ तो अच्छी नहीं लगेगी” ।
भारती की तरह खूबसूरती के अपने मायने तय करो, बल्कि कोई मायने ही तय मत करो। तुम सभी खूबसूरत हो क्यूंकि तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे होने में है।
मैंने देखा आज एक काम करने वाली को
मेहनत करते मुझे वो खूबसूरत लगी बेहद
ऑटो चलाती वो औरत सुबह
जो पूछती है मुझसे बिटिया को डॉक्टर कैसे बनाऊ
मुझे वो खूबसूरत लगी बेहद
पार्क में बच्चे को झुलाते वो माँ
हंसती हुई बच्चों का खिलखिलाना देखकर
मुझे वो खूबसूरत लगी बेहद
ऑफिस जाते नीले सूट पहनी लड़की
मुझे वो खूबसूरत लगी बेहद
हर दिन मुस्कुराकर हाल पूछती एक नर्स
सबसे खूबसूरत लगी मुझे
एक दोस्त मेरी जिसने ज़िन्दगी बचायी कल शाम को
थक कर नींद में खूबसूरत लगती है मुझे
ये हमारे आस पास की औरतें हर रोल में, हर रूप में
तुम्हें लगती होंगी आम सी
मुझे ये लगती हैं खूबसूरत
बेहद खूबसूरत “
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